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Prof. A.M. Pathan

प्रो. अब्दुल जलीलख़ान एम. पठान

भूतपूर्व कुलपति

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Profile of प्रो. अब्दुल जलीलख़ान एम. पठान

प्रो. ए. एम. पठान ( दूसरे कुलपति :: 13 मार्च 2004 - 28 फरवरी 2009)

प्रो. ए.एम.पठान एक विशिष्ट विद्याविद एवं भू-विज्ञान के प्रोफेसर है जिनके कैरियर का पूर्ण विस्तार चार दशक का है। छात्र के रूप में वे हमेशा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए और कर्नाटक विश्वविद्यालय द्वारा उन्हें दो बार पावेट रैंगलर (Pavate Wrangler) पुरस्कार से सम्मानित किया गया। उन्हें अंतर्राष्ट्रीय भू-वैज्ञानिक संघ के लिए भारतीय राष्ट्रीय समिति में सदस्य के रूप में भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी (आई.एन.एस.ए.) के द्वारा नामित किया गया।

आपने अपना कैरियर बेंगलूरू विश्वविद्यालय में भूगर्भीय व्याख्याता के रूप में आरंभ किया तथा बाद में भूगर्भीय विभाग के प्रोफेसर और विभागाध्यक्ष बनकर उन्नति की। आपने बेंगलूरू विश्वविद्यालय में विशिष्ट पदों जैसे प्रभारी कुलपति, कुलसचिव, कुलसचिव(मूल्यांकन) को ग्रहण कर अपनी सेवाएं प्रदान की। के.एस.ओ.यू (KSOU) की स्थापना के लिए उन्हें विशेष कार्याधिकारी के रूप में नियुक्त किया गया था।
वर्ष 1996 में प्रो. पठान कर्नाटक विश्वविद्यालय, धारवाड़ के कुलपति पद पर लगातार दो कार्यकाल तक रहे। वर्ष 2004 में मौलाना आज़ाद नेशनल उर्दू यूनिवर्सिटी, हैदराबाद एक केन्द्रीय विश्वविद्यालय जिसका उन्हें कुलपति नियुक्त किया गया। आपने विश्वविद्यालय के शैक्षणिक और भौतिक बुनियादी ढांचे के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। प्रो. पठान ने अनेक राज्यों और राष्ट्रीय समितियों में अपनी सेवाएँ प्रदान की इसके अलावा कई विश्वविद्यालयों के विभिन्न कार्यकारी और अकादमिक परिषदों में रहे, मानव संसाधन विकास मंत्रालय और विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की विभिन्न निकायों के सदस्य, कुलपति नियुक्ति हेतु अनुसंधान समिति में और विभिन्न चयन समितियों में शैक्षणिक पदों की नियुक्तियाँ करने के लिए रहे। वर्ष 2008 में आप भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ के अध्यक्ष रहे। आपके द्वारा उच्च शिक्षा के क्षेत्र में योगदान और सक्षम सेवाओं को पहचानते हुए आपको कई प्रदत्त सम्मानों के साथ सम्मानित किया गया। प्रो. पठान अपनी वर्तमान सेवाएँ नव-स्थापित कर्नाटक केन्द्रीय विश्वविद्यालय में पहले कुलपति के रूप में लगातार चौथी बार प्रदान कर रहे हैं। आपको एक प्रशंसनीय एवं सक्षम व्यवस्थापक और एक मानवीय विद्वान के रूप में मान्यता प्राप्त है। आपके कठिन परिश्रम के फलस्वरूप देश के विभिन्न भागों में रहकर आपने हजारों भारतीयों के लिए गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा का विस्तार किया।